बडे भाई निशीथ जोशी की कलम से


स्वर्गीय आपा और लाला भाई (मो माबूद ) के नाम जिनके बिना ये बेटा इतना बड़ा नहीं हो सकता था। आपकी बहुत यद् आती है। इंशा अल्लाह कभी तो मुलाकात होगी। वैसे तो आप हरदम मेरे साथ हो। कभी तहजीब के रूप में तो कभी दुआओं के ताबीज के रूप में। सिर्फ़ यही है मेरी जिंदगी की कमाई -------निशीथ
खौफ ------
रोक लो इन हवाओं को
मत आने दो शहर से
मेरे गांव की ओर
वरना मंगल मामा
हिंदू हो जाएगा
और रहमत चाचा
मुसलमान हो जाएगा
और रहमत चाचा मुसलमान.....

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