गांधी के ब्रिटिश फौज की वर्दी पहनने के तथ्य का विवाद के रूप में तूल पकड़ना देख रक्षा मंत्रालय बचाव की मुद्रा में आ गया है और उसने अब प्रस्तावित ‘शताब्दी सैनिक समाचार स्मारिका’ में आवश्यक फेरबदल की प्रक्रिया शुरू कर दी है।रक्षा सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्रालय की पत्रिका के 2 जनवरी 2009 को 100 साल पूरे होने के मौके पर प्रकाशित की जा रही इस स्मारिका में गांधी जी के ब्रिटिश फौज में शामिल होने संबंधी समाचार को संक्षिप्त और सम्पादित किया जा रहा है और उसमें तमाम अतिश्योक्तियों को अंतिम समय में हटाया जा रहा है।रक्षा सूत्रों ने कहा कि इस पूरे प्रकरण को विवाद के तौर पर पेश करना गैर जरूरी है क्योंकि स्वयं महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा ‘माई एक्सपीरियेंस विद ट्रुथ’ में विस्तार से इस बात का जिक्र किया है कि किन परिस्थितियों में उन्होंने ब्रिटिश फौज की वर्दी पहनी थी और वर्ष 1889 के समय बोअर की लड़ाई में उन्होंने किस तरह पहल करते हुए एम्बुलेंस यूनिट गठित की थी।रक्षा प्रवक्ता सितांशु कार से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने सवाल को टालते हुए कहा, “आप 2 जनवरी 2009 तक का इंतजार करिये जब सैनिक समाचार की शताब्दी स्मारिका का लोकार्पण किया जाएगा। इस अंक के लिए हमारी एक मजबूत सम्पादकीय टीम है जो सभी विषयों के साथ उचित न्याय कर रही है और इतिहास के तथ्यों को जस का तस पेश करने में यह टीम पूरी तरह सक्षम है”।इस बारे में कार ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया कि मामले के विवाद के रूप में पेश किए जाने के बाद मूल लेख को बदला जा रहा है या नहीं।‘यूनीवार्ता’ ने सैनिक समाचार की इस स्मारिका की अग्रिम प्रति के आधार पर इतिहास के इस बेहद अनजाने तथ्य को पेश किया था कि गांधी जी भी ब्रिटिश फौज में शामिल हुए थे और उन्होंने ब्रिटिश फौज की वर्दी भी पहनी थी। स्मारिका में गांधी जी का फौजी वर्दी वाला चित्र भी प्रकाशित हो रहा है जिसे हटाए जाने की योजना नहीं है।रक्षा सूत्रों ने कहा कि स्मारिका में जो कुछ प्रकाशित हो रहा है उसमें कुछ भी नया नहीं है और इसमें 2 जनवरी 1909 से लेकर आज तक के सैनिक समाचार और फौजी अखबार के लेखों का संकलन ही है। गांधी जी के बारे में जिस चर्चित लेख ने बहस का रूप लिया है वह तीन दशक से अधिक पहले प्रकाशित हुआ था।रक्षा सूत्रों के अनुसार स्मारिका की सम्पादकीय टीम इतिहासकारों की राय ले रही है और लेख को इस तरह सम्पादित किया जा रहा है कि गांधीवादियों की भावना को कोई ठेस न पहुंचे । - मुकेश कौशिक
No comments:
Post a Comment