मुजफ्फर नगर की पंचायत ने निम्न तबके वाली लड़की के हित में नहीं, बल्कि उच्च विरादरी के हक में फैसला सुनाया है । यह तो वही हुआ कि -- जबरा मारे, निबरा को रोने भी न दे । एसे में तो अमीरजादे कुछ भी करें, गरीब पैसा लेता रहे । यह कहां का कानून है ?
प्रेमी को देना पड़ेगा खर्चा , खबर यह नहीं बल्कि यह होनी चाहिए कि अब गरीब तबके की लड़की का क्या होगा ? भारतीए समाज में एसा कोई प्रावधान नहीं है,जिसमें गर्भवती लड़की को किसी और के खूंटे बांधा जाए । पंचायत का फैसला यह होना चाहिए कि गरीब लड़की के साथ अगर प्रेम किया गया है तो उसके प्रेमी के साथ विवाह होना चाहिए । यह कहां से उचित फैसला हुआ, कि गरीब को पैसा देकर मुंह बंद करवा दो । मैंने भी एक अखबार में इस खबर को देखा । एजैंसी के रिपोर्टर ने मसाला लगाकर खबरें प्रस्तुत की थीं, अखबार ने भी बढिया डिस्पले देकर पाठक तक पहुंचाया । लेकिन क्या सुबह इस खबर को पढ़ कर आपकी आत्मा ने कोई सवाल नहीं किया । अगर नहीं तो आप सो रहे हैं ?
बुरा मत मानना क्या गरीब लड़की की जगह आप में से किसी की लड़की होती, उच्च श्रेणी के लड़के की जगह आपके इलाके के किसी करोड़पति या फिर किसी बड़े नेता का लड़का होता, तब आप क्या करते । मान लो आपको कहा जाता कि १ करोड़ लेकर बेटी का गरभपात करवा लें, किसी के साथ ब्याह दें । क्या आप एसा करते ? जरा सोचिए ....
यह मुजफ्फर नगर की पंचायत का फाल्ट नहीं है, फाल्ट हमारे समाज का है । हमेशा से ही गरीबों को कुचला गया है, गरीब लड़कियों के चीरहरण किए गए हैं । वह चाहे मुंशी प्रेमचंद की कोई कहानी हो, अथवा कोई बड़े लेखक का जासूसी उपन्यास अथवा किसी बड़े डायरैक्टर की कोई फिल्म क्यों न हो ? आपने कहानी अमित जी के पोस्ट में पढ़ी होगी,कहानी मैं नहीं बताऊंगा । लेकिन इतना जरूर कहूंगा, कि सोचिए क्या यह ठीक है ।
2 comments:
अगर समाज जाति बंधन से मुक्त हो जाता तो आज देश की ये हालत न होती ....अच्छा लेख है ...आपका और आपके नए ब्लॉग का स्वागत है .....लिखते रहें ......
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
AIK ACHCHE BLOG KE LIE BADHAI. AAP JAISE LOG HI MERI MADAD KAR SAKTE HAI. KASI MADADKARNI HAI YAH AAP SAMAJH JAYENGE JAB IS BLOGKO VISIT KARENGE
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