भारतीयों के पैसों पर ठाठ, फिर भी हूपर नाराज
खराब तैयारियों का ढोल पीट रहे कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन (सीजीएफ) के मुख्य कार्यकारी माइक हूपर खुद पिछले दो साल से भी ज्यादा समय से भारत में राजसी ठाठ के मजे उठा रहे हैं। बावजूद इसके मिस्टर हूपर हैं कि खुश होने को राजी ही नहीं होते। एक टीवी चैनल की मानें तो करोड़ों भारतीयों की गाड़ी कमाई पर हूपर ऐश कर रहे हैं और आलोचना कर रहे हैं। चैनल का दावा है कि पिछले २६ महीनों से हूपर का बोझ सीडब्ल्यूजी आयोजन समिति भुगत रही है। जिस आलीशान घर में वे ठहरे हैं, उसका सालाना खर्चा 18 लाख रुपए से भी ज्यादा है। आयोजन समिति 4 लाख 50हजार रुपए मासिक किराए के रूप में चुका रही है। तिमाही किस्त के आधार पर आयोजन समिति को 13लाख 50रुपए देने पड़ रहे हैं। सिर्फ घर का किराया ही नहीं, बल्कि उनकी खिदमत में लगे छह लोगों को 37हजार 375रुपए मासिक वेतन का भी भुगतान किया जा रहा है। बात सिर्फ यहीं नहीं रूकी बल्कि आयोजन समिति ने एक साल के दौरान 86लाख रुपए के टैक्स का बोझ भी देशवासियों के कंधों पर ही डाला है। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के उपाध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा ने इस पूरे मामले पर जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, "मुझे इस बारे में पूरी जानकारी नहीं है। हम तथ्य इकट्ठा कर रहे हैं कि आखिर सही मायने में इन लोगों पर कितना पैसा खर्च किया जा रहा है। इसके अलावा क्या वे पिछले कॉमनवेल्थ में भी इसी प्रक्रिया से गुजरे थे या नहीं। पूरी जानकारी इकट्ठा करने के बाद ही हम कोई प्रतिक्रिया करेंगे।"हूपर पहले से ही भारत के खिलाफ अपनी बयानबाजी के कारण सभी की आंख का कांटा बन चुके हैं। कम बोलने की सीख देते हुए मल्होत्रा ने कहा, "वह यहां लंबे समय से हैं और निश्चित तौर पर वह आयोजन समिति का एक हिस्सा है। इसलिए उन्हें इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।" हूपर ने हाल ही में कहा था कि सरकारी एंजेसियों ने सही समय पर एक्शन नहीं लिया, जिसका खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है। हूपर के बयान पर भड़की शीला दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भारत की जनसंख्या के बारे में कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन (सीजीएफ) के मुख्य कार्यकारी माइक हूपर के बयान से खासी नाराज हैं। शीला दीक्षित ने कहा कि हूपर की यह टिप्पणी अवांछनीय और गैर राजनयिक है। हूपर ने खेलों की तैयारियों में देरी के लिए दिल्ली की अधिक जनसंख्या और ट्रैफिक जाम को दोषी ठहराया था।नयी दुनिया
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