काजू भुनी प्लेट में, विहस्की गिलास में ।
उतरा है रामराज विधायक निवास में...
बहुत उदास हैं ....तिनके
हम बहुत उदास हैं .... सोचता हूँ उस तिनके का क्या होगा .... जो हवा के झोंके से कभी तनता है, तो कभी गिरता है.. फ़िर भी पड़ा रहता है मौन... ना रोता है, ना हँसता है .... बस उस एक झोंके का इन्तजार करता है ... जो उस को पहुंचाए कहीं और ......
3 comments:
मनुष्य की हालत भी तो इस मशीनी युग में तिनके जैसे ही हो गयी है।अच्छी प्रस्तुति।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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shyamalsuman@gmail.com
MANUSHYA BHI AAJ AAPNE HAALAT ME TINKE JAISA HAI PAR........PAR WAH BHI APANA ASTITAW RAKHATA HAI ...SUNDAR
तूफान का मौसम भी बहुत हो रहा प्यारा,
तिनके को होगा डूबते का सहारा।
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