गोनार्द की धरती
काजू भुनी प्लेट में, विहस्की गिलास में । उतरा है रामराज विधायक निवास में...
ओह तैनू कदों दा भूल गया ......
तडके - तडके आँख खुली,
इक हंजू नैना च डुल गया ।
मैं रब्ब कोलों पुच्च्या की होया?
ओह कहंदा जैनु तू सारी रात याद कित्ता,
ओह तैनू कदों दा भूल गया ......
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