बारिश की बूंदों में हम भी करते थे मस्ती


बारिश की बूंदों से वर्षा रानी की याद आई.
जब हमें उसकी बूंदों से मिलती थी राहत.
उसकी हर बूंद से करते थे प्यार इतना,
की हर बूंद को हथेलियों से जकड कर ...
बाहों में भरते, दुलराते, छेड़ते ....
और फिर हथेलियों को गाल पर लगाते ....

1 comment:

Shekhar Kumawat said...

bahut khub



फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई

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