भोपाल गैस त्रासदी : दफन हुआ इंसाफ
25 साल पहले जिस भोपाल गैस कांड में हजारों लोग मारे गए थे और अनेकों लोग स्थायी रूप से विकलांग हो गए थे, उसके जिम्मेदार लोगों को सिर्फ दो साल की सजा और प्रत्येक पर एक लाख एक हजार 750 रुपए का जुर्माना लगाया गया है। सजा सुनाए जाने के कुछ मिनट बाद ही 25 हजार रुपए के मुचलके पर सात दोषियों को जमानत भी मिल गई। ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए इनके पास 30 दिन का समय है।
और अब अदालत ने निकाले आंसू
भोपाल गैस पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे स्वयंसेवी संगठनों ने इसे बहुत देर से दी गई बहुत हल्की सजाया बताया और आरोप लगाया कि अभियोजन और सीबीआई ने इस मामले में पीड़ितों का पक्ष प्रभावी ढंग से नहीं रखा। भोपाल जिला अदालत ने सोमवार दोपहर गैस कांड के आरोपी केशव महेंद्रा सहित सात आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई।
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न्यायिक व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी!
अदालत ने यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड पर भी पांच लाख रुपए का जुर्माना किया है। फैसला सुनाए जाते वक्त महेंद्रा सहित पांच आरोपी अदालत में उपस्थित थे। सीजेएम मोहन पी तिवारी द्वारा अंग्रेजी में दिए गए 93 पृष्ठीय फैसले में फरार आरोपी यूनियन कार्बाइड कापरेरेशन के तत्कालीन चेयरमेन वारेन एंडरसन और गैरहाजिर चल रहीं दो कंपनियों कार्बाइड कापरेरेशन, कार्बाइड ईस्टर्न इंडिया (हांगकांग) का उल्लेख नहीं है। इस मामले में सीबीआई की ओर से सी. सहाय ने पैरवी की। इस मामले का एक आरोपी शकील अहमद कुरैशी फैसले के वक्त कोर्ट में मौजूद नहीं था। उनके वकील ने अदालत को बताया कि वह इंदौर में गंभीर रूप से बीमार है। उसे एंबुलेंस से भोपाल लाया जा रहा है। अदालत ने इस बात को मानकर शकील की अनुपस्थिति में ही फैसला सुना दिया, जबकि शाम 6 बजे तक शकील अदालत में पेश नहीं हुआ था।
छावनी में तब्दील रही अदालत:
एहतियात के तौर पर पुलिस ने जिला अदालत को छावनी में तब्दील कर रखा था। इससे यहां पेशी पर आए अन्य लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। सीजेएम कोर्ट में भी जिन लोगों की पेशी थी, उन्हें अदालत के अंदर जाने नहीं दिया गया। कोर्ट का मुख्य प्रवेश द्वार सुबह दस बजे ही बंद करा दिया था। गेट नंबर एक के बाहर एक वज्र वाहन तैनात रहा।
गैस पीड़ित संगठन की प्रतिक्रिया:
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मुआवजा लेते समय जो समझौता हुआ था, उसमें मृतकों की संख्या तीन हजार से अधिक थी, यदि प्रत्येक व्यक्ति की मौत के लिए पांच हजार रुपए का जुर्माना किया जाता तो वह भी करोड़ों रुपए होता। उन्होंने कहा हैरत की बात है कि फैक्टरी के मालिक केशव महेंद्रा और फैक्ट्री के जो कर्मचारी आरोपी थे, उन सभी पर एक ही राशि का जुर्माना किया गया।
कितनी सजा
भादवि की धारा 304-ए : केशव महेंद्रा, विजय गोखले, किशोर कामदार, जे मुकुंद, एसपी चौधरी, केवी शेट्टी, एसआई कुरैशी को दो साल की जेल और एक लाख रुपए जुर्माना। इसी धारा में यूका पर पांच लाख रुपए का जुर्माना।
१. धारा 338 में केशव महेंद्र सहित सातों आरोपियों को एक साल की जेल और एक हजार का जुर्माना।
२. धारा 337 में केशव महेंद्रा सहित सातों आरोपियों को छह महीने की जेल और पांच सौ का जुर्माना।
३. धारा 336 में केशव महेंद्रा सहित सातों को तीन माह की जेल और प्रत्येक पर 250 रु. का जुर्माना।
इंतजार ही रहा न्याय
फैसला सुनने बड़ी संख्या में गैस पीड़ित महिलाएं और संगठनों के लोग पहुंचे थे, लेकिन पुलिस ने किसी को भी अदालत भवन में नहीं जाने दिया। विरोध पर पुलिस ने उनसे मारपीट की। गैस पीड़ितों का कहना था कि 25 साल से अपने हक की लड़ाई लड़ते-लड़ते लाठियां खाई। आज फैसले के दिन भी इसका शिकार होना पड़ा।
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साभार -दैनिक भास्कर
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