तेरा चेहरा...


हथेलियों पर देखा था जिसका चेहरा ..
रेखाएं मिलती, सिकुड़ती, फैलती ...
फिर तन सा जाता उसका चेहरा ...
यह चेहरा ही तो है जिसे रोज हथेलियों में ....
पढ़ा करते हैं .....

1 comment:

adwet said...

सुंदर कविता। बधाई।।

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