जारी है पत्रकारिता

शराब के संग डेक पर

कबाब के संग मेज पर

शबाब के संग सेज पर

जारी है, इस दौर में पत्रकारिता

गन माईक के दम से

कलम के अहम् से

लक्ष्मी की चाहत में

जारी है, जीवन बिगारने बनानेकी पत्रकारिता

अनैतिक राहो से

अमानविये निगाहों से

अश्रधय भावों से

जारी है, लुटने खसोटने की पत्रकारिता

टी आर पी की चाह में

विजुअल की चोरी से

मनगढ़ंत स्टोरी से

जारी है, कलमुही पत्रकारिता

भुत प्रेत पिचास से

काम और अपराध के बेहूदी बकवास से

जारी है, राक्षसी पत्रकारिता

मानिए न मानिए आज के इस दौर में हो गई है

बदचलन औ बेहया पत्रकारिता .............

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