भिखारी हो तो ऐसा ...

पेट भरने के लिए सड़कों पर भीख मांगने वाले भिखारी तो हर कहीं देखने को मिल जाते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसे भिखारी हैं जो भी

ख मांगकर जुटाए गए पैसों से गरीब और बेसहारा लड़कियों की शादी कराकर उनकी जिंदगी खुशहाल बना रहे हैं।
सोनभद्र जिले के निवासी रमाशंकर कुशवाहा (58) रामगढ़ कस्बे में स्थित शवि मंदिर के महंत हैं। पूरे इलाके में ये 'भिखारी बाबा' के नाम से मशहूर हैं। भिखारी बाबा अब तक करीब 600 गरीब आदिवासी व दलित कन्याओं का विवाह कराकर उनका घर बसवा चुके हैं।
भिखारी बाबा ने कहा, ''मुझे हर बेसहारा और गरीब कन्या में अपनी बेटी नजर आती है। मैं नहीं चाहता है कि धन के अभाव में किसी कन्या की डोली न उठ पाए। इसलिए शादी कराके उनका जीवन सुखमय बनाने के लिए मैं भीख मांगता हूं।''
लड़कियों की शादी में खर्च होने वाला धन जुटाने के लिए वह साल भर अपने शिष्यों के साथ घूम-घूम कर भीख मांगते हैं।
बाबा कहते हैं, ''हर महीने के करीब पंदह दिन मैं अपने शिष्यों के साथ सोनभद्र और आस-पास के जिलों में भीख मांगता हूं। फिर शादी के मुहूर्त वाले महीनों फरवरी से जून के बीच में कोई एक दिन निर्धारित करके लोगों की मदद से शवि मंदिर परिसर में विवाह समारोह आयोजित करता हूं।''
भिखारी बाबा भीख मांगकर पिछले 5 सालों से सोनभद्र और आस-पास के जिलों की गरीब आदिवासी और दलित लड़कियों की सामूहिक शादी कराते आ रहे हैं।
बाबा के जीवन में घटी एक मार्मिक घटना ने उन्हें इस काम को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया। बाबा कहते हैं, ''साल 2005 में मेरे आश्रम के पास संतोष कुमार नाम का एक युवक आया और कुएं का पानी पीकर छाया में सुस्ताने लगा। तभी उसे अचानक दिल का दौरा पड़ गया और उसकी वहीं पर मौत हो गई। संतोष के घर में केवल उसकी एक छोटी बहन रीता थी। उसकी मौत की खबर पाकर वहां बदहवास हालत में वहां आई और रो-रोकर कहने लगी कि अब उसका क्या होगा..कौन उसकी देखभाल करेगा। उसे रोता बिलखता देख मैंने सबके सामने उसकी शादी कराने का ऐलान किया और उसी समय प्रण लिया कि आज से मैं बेसहारा और गरीब कन्याओं की शादी कराऊंगा।''
बाबा के मुताबिक 2005 में पहली बार रीता के साथ उन्होंने 21 गरीब कन्याओं की शादी करवाकर इस मुहिम की शुरुआत की थी। उसके बाद से लगातार यह सिलसिला जारी है। बीते साल उन्होंने 100 से अधिक कन्याओं का सामूहिक विवाह करवाया। अगले साल भिखारी बाबा का 106 लड़कियों का विवाह कराने की प्रण है।
जिस अनाथ लड़की के माता-पिता नहीं होते हैं भिखारी बाबा उसके लिए उसी की जाति का वर खोजकर शादी करवाते हैं। यहीं नहीं लड़की को मां-बांप की कमी न महसूस हो इसके लिए वह बाकायदा कन्यादान भी करते हैं।

प्रेम का बिरवा



मैं
माँ की कोख में पल रहा
प्रेम का नन्हा बिरवा था
उसके पहले मैं ज्योति-पुंज का एक अंश था

एक दिन
अंतरिक्ष में चक्कर लगाते मैंने धरती पर
प्रेम का अद्भुत प्रकाश देखा
और उसे पास से देखने के लोभ में
माँ की कोख में गिर पडा़
कोख में बहुत अन्धेरा था
पर मैं खुश था
क्योंकि मैं आदमी की तरह
ले रहा था रूपाकार...

मेरी माँ
रात-दिन गुनगुनाया करती
उसके रोम-रोम से
प्रेम के सोते फूटते रहते
पिता इन दिनों बाहर थे
माँ मेरे सहारे प्रसन्न थी
पर कभी-कभी उदास हो जाती

क्योंकि अभी तक नहीं थी
उनके प्रेम को
स्वीकृति समाज की...
पर मुझे इससे क्या फर्क पड़ता
मैं तो प्रेम का बिरवा था
माँ की कोख में पल रहा...

और उस दिन
माँ बहुत खुश थी
पूरा घर महक रहा था
माँ के तन-मन की तरह
पिता आने वाले थे...

वे आए
माँ उनके सीने से लग गई
मैंने आँखें बंद कर ली
अचानक माँ की हिचकियों से चौंका
देखा पिता अजनबी से दूर खडे़ थे
हुआ क्या है...

मैंने कान लगाकर सुनने की
कोशिश की
और जो सुनाई पडा़
उसने मुझे काठ कर दिया

पिता
मुझे अपना मानने से इन्कार कर रहे थे
वे मेरी हत्या की बात भी
कह रहे थे
मैं सदमें में था

यह वही आदमी है क्या
जिसकी आँखों में मैंने
उस दिन इतना प्यार देखा था
माँ तो बेचारी भोली स्त्री थी
मैं अंतरिक्ष का वासी
कैसे धोखा खा गया...?

जी चाहा
ऐसे आदमी की हत्या कर दूँ
जो माँ को भी माँ की तरह
कमज़ोर... मज़बूर
ओर सीमाओं में जकड़े था

पिता चले गए
और फिर माँ पर
ढाए जाने लगे जुल्म...
पूरा संसार ही जैसे हम दोनों का शत्रु बन गया था

अब मैं
पाप का बिरवा था
माँ की कोख में पल रहा...

मैं
कई-कई दिन
माँ के साथ
भूखा-प्यासा रहा
गालियाँ और मार सहता रहा
मैं... माँ को सान्त्वना
देना वाहता था

"मैं दूंगा तुम्हारा साथ...
तुम खुद को अकेली न समझो माँ...
पर माँ अपने दुख में डूबी
मेरी आवाज़ नहीं सुन पा रही थी
तभी तो हार रही थी
टूट रही थी...

मैं
इस
माँ के साथ
एक बडे़ कमरे में
बडी़-सी मेज़ पर लेटा हुँ

इस कमरे में
ढेर-सारे औजार हैं
और नाक-मुँह ढँकी नर्से...
मेरा जी घबरा रहा है
माँ के हाथ-पैरों को
ऊँचा करके बाँधा जा रहा है
जैसे जिबह के लिए बकरे को...

एक नर्स इन्जेक्शन लेकर
बढ़ रही है माँ की तरफ़
मैं डर के मारे आँखे बंद कर लेता हूँ
अचानक मेरे बदन में
जैसे सैंकड़ों सुइयाँ चुभने लगी हैं

मैं देखता हूँ
माँ बेहोश हो गई है
और नुकीले औजार मेरी ओर
बढ़ रहे हैं
मैं पूरे जोर से चीखता हूँ
माँ! मुझे बचाओ...

पर माँ निष्पंद पडी़ है...
मैं अकेला
और इतने खतरनाक शत्रु
संड़सी मुझे पकड़ने की कोशिश में है
मैं इधर-उधर दुबकने की कोशिश करता हूँ
पर कब तक...

संड़सी ने मेरे गले को पकड़ लिया है
हथौडा़ मेरे सिर को कुचल रहा है
माँ की कोख में फैली मेरी जड़ों को
बेदर्दी से काटा जा रहा है...

सोचता हूँ
जब माँ को होश आएगा
कितना रोएगी वह मेरे लिए
जब तक जीएगी... रोएगी
रोयेगी कि क्यों किया था उसने प्रेम...

मैं ठोस से तरल हो रहा हूँ
माँ... माँ मुझे क्षमा करना
मैं तुम्हारा साथ न दे सका
बहुत कमज़ोर निकला
तुम्हारी कोख में पल रहा
यह बिरवा

माँ... माँ।
- रंजना जायसवाल

तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है

तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है

उधर जम्हूरियत का ढोल पीते जा रहे हैं वो
इधर परदे के पीछे बर्बरीयत है ,नवाबी है

लगी है होड़ - सी देखो अमीरी औ गरीबी में
ये गांधीवाद के ढाँचे की बुनियादी खराबी है

तुम्हारी मेज़ चांदी की तुम्हारे जाम सोने के
यहाँ जुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है
- अदम गोंडवी

काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में

काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में

पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत
इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में

आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में

पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में

जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में
- अदम गोंडवी

गंगोत्री मंदिर में दलित सीखेंगे कर्मकांड


गंगोत्री मंदिर में अब दलित लड़कों को भी धर्म और कर्मकांड की शिक्षा दी जाएगी। यह ऐतिहासिक फैसला गंगोत्री के मुख्य पुजारी और प्रबंध अध्यक्ष पंडित संजीव सेमवाल ने लिया। इस मामले की पहल सांसद तरुण विजय ने गंगोत्री मंदिर में एक बैठक में की। लंबे विचार-विमर्श के बाद पुजारी इसके लिए तैयार हो गए।
मंदिर के पंडितों के मुताबिक यह फैसला हिंदू समुदाय की विभिन्न जातियों के बीच मौजूद भेदभाव को मिटाने में सहायक होगा। तरुण विजय ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया और कहा कि पुजारी को दिल्ली में एक भव्य समारोह में सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसका सिस्टम जल्द ही तय कर लिया जाएगा।-नभाटा

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails