गोनार्द की धरती
काजू भुनी प्लेट में, विहस्की गिलास में । उतरा है रामराज विधायक निवास में...
बहुत उदास हैं ....तिनके
हम बहुत उदास हैं ....
सोचता हूँ उस तिनके का क्या होगा ....
जो हवा के झोंके से कभी तनता है, तो कभी गिरता है..
फ़िर भी पड़ा रहता है मौन...
ना
रोता है,
ना हँसता है ....
बस उस एक झोंके का इन्तजार करता है ...
जो उस को पहुंचाए कहीं और ......
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