गोनार्द की धरती
काजू भुनी प्लेट में, विहस्की गिलास में । उतरा है रामराज विधायक निवास में...
बारिश की बूंदों में हम भी करते थे मस्ती
इ
बारिश की बूंदों से वर्षा रानी की याद आई.
जब हमें उसकी बूंदों से मिलती थी राहत.
उसकी हर बूंद से करते थे प्यार इतना,
की हर बूंद को हथेलियों से जकड कर ...
बाहों में भरते, दुलराते, छेड़ते ....
और फिर हथेलियों को गाल पर लगाते ....
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