कहां हो गांधी जी

मैं २ अक्तूबर को एक न्यूज चैनल देख रहा था,कि चैनल पर दिखाया गया कि स्वर्ग की सीढ़ी मिल गई है । आप स्वर्ग जाना चाहते हैं तो रिपोर्टर के साथ रहें । मैं भी पीछे-पीछे चल पड़ा । अभी स्वर्ग की तीन सीढ़िया चढ़ा ही थी कि दो कुत्ते मेरे पीछे लग गए । बोले मैं जाऊंगा, मैंने पूछा क्यों ? जवाब था कि कुत्ते के बिना इंसान स्वर्ग जा ही नहीं सकते । युधिष्ठर ने भी कुत्तों को सहारा लिया था । स्वर्ग के साथ नरक को भी रास्ता जा रहा था, मैंने सोचा नरक के प्राणियों का बाहर से ही दर्शन कर लिया जाए । झांक कर देखा तो मिजाज शुभान अल्लाह....दिल करा रुक जा... वहां सुर, सुरा और सुंदरी अलमस्त दिखे । मेरी निगाहें किसी को खोज रही थी, लेकिन नरक...छी-छी-छी ... सो मैंने स्वर्ग की तरफ पैर बढ़ा दिए । मेरे कुछ जानपहचान वाले मिले, कहा स्वर्ग में स्वागत है । मैंने पूछा गांधी जी नहीं दिख रहे हैं, जवाब मिला कहीं बैठे अहिंसा की बात कर रहे होंगे । मैं आगे बढ़ा, देखा गाँधी जी लाठी के सहारे स्वर्ग से अपने सपने के भारत को टुकुर-टुकुर निहार रहे थे ।
गांधी जी का मन बैचेन था, पांव छूकर मैं भी नीचे देखने लगा । गांधी जी पावर वाले चश्मे के पीछे से एक नजर मुझ पर डाला, कहा इतनी भी क्या जल्दी थी । मैंने कहा बापू जी मैं तो एक चैनल के सुझाए रास्ते से जीते- जी स्वर्ग पहुंचा । आप से मिलने की बड़ी चाह थी, सो पूरी हो गई । मुन्ना भाई में आप सीधे टपोरी संजय दत्त से बातें कर रहे थे । फिल्म देखी तो मुझको भी आपसे मिलने की इच्छा पैदा हो गई । कई रातें लाइब्रेरी में गुजारी, लेकिन आप नहीं आए । हां ख्यालों में रोज आते रहे । मोबाइल के रिंग टोन में ‍‍॥ऐनक पहने लाठी पकड़े चलते थे वो शान से, जालिम कांपे थर-थर-थर सुनकर उनका नाम रे, कद था उनका छोटा सा, सरपट उनकी चाल रे ....बंदे में था दम, वंदेमातरम.... सुनता रहता हूँ ।
गांधी जी बोले, पुत्तर मैं विचारों में हूं । तब तक न्यूज चैनल का reporter आया॥ भाई साहब अब धरती पर चलने का समय हो गया है । मैंने कहा थोड़ी देर और ठहरते हैं, बापू जी से बातें कर लें ।
मेरे मन में कई सवाल हैं, अगली बार जाकर मैं उस सवाल का जवाब गाँधी जी जरुर लूँगा ... शेष अभी है .....

हे प्रभु, बीवी दिलवा दो ...

एक भक्तगण गया हनुमान जी के मदिंर
रोते चिल्लाते उसने जब प्रवेश किया अंदर
बोला भक्त प्रभु से, हे मालिक मेरी भी नैया पार करो
इस बदनसीब अभागे पर अब तो कुछ उपकार करो
अब हमारी गली में नहीं रहा नहीं है कोई कुंवारा
मैं आया तेरी शरण में जो बच गया बेचारा
हे प्रभु, करवा दो मेरी भी एक बार शादी
फिर चाहे टेरीकाट की जगह पहनना पड़े मुझको खादी
बोले प्रभु, अजीब है इस दुनिया का यह चक्कर
अरे आया था तुझसे भी पहले अभी एक घनचक्कर
बोला था प्रभु, मेरी नैया पार करवा दो
मुझको या फिर मेरी बीवी को ही मरवा दो
सुना शादी से वह इतना तंग हो रहा
अरे फिर तू क्यूं शादी के लिए इतना रो रहा
हे प्रभु, मारो गोली उसको मेरा तो काम बना दो
और न सही तो, उसकी ही बीवी मुझको दिलवा दो
हे प्रभु, एक बार यह कर दो मेरी पूरी आस
शादी के इंतजार में चेहरे पर उग आई है घास
हाल जानकर उसका 'महाबीर' की आंखे भर आईं
रखकर सिर पर हाथ उन्होंने अपने दिल की बात बताई
सुन रे भक्त, मै तुझको सारी बात समझाता हूं
पहले अपनी करवा लूं, फिर तेरी करवाता हूं.......

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