पंज-आब के पानी में यूरेनियम

पांच नदियों का द्वाब पंजाब, अब बे-आब हो रहा है। आर्सेनिक के बाद पंजाब के एक बड़े इलाके के भूजल और सतही जल में यूरेनियम पाया गया है। दक्षिण पश्चिम पंजाब क्षेत्र में “सेरेब्रल पाल्सी” से पीड़ित बच्चों के बालों में यूरेनियम के अंश पाये गए है। हाल ही में जर्मनी की एक लैब ने फरीदकोट के एक मंदबुद्धि संस्थान “बाबा फ़रीद केन्द्र” के बच्चों के बालों पर शोध के बाद रिपोर्ट दी है। जर्मनी की माइक्रो ट्रेस मिनेरल लैब की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शोध किये गए लगभग 150 बच्चों के बालों में 82 से लेकर 87 प्रतिशत तक यूरेनियम पाया गया है। इस खुलासे के बाद गुरुनानक देव विश्वविद्यालय द्वारा एक विशेष वैज्ञानिक जाँच शुरु करने का फ़ैसला किया गया है।

डॉ अम्बेडकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, जालन्धर के फ़िजिक्स विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ रोहित मेहरा ने 34 गाँवों के विभिन्न हैण्डपम्पों के पानी का परीक्षण किया। उनके अनुसार पानी में यूरेनियम की उपलब्धता के मामले में सबसे ज्यादा खतरनाक स्थिति मंसा जिले की है। अध्ययन के अनुसार मिट्टी के नमूनों में भी यूरेनियम, रेडियम, थोरियम और पोटेशियम की मात्रा का स्तर भी काफ़ी उँचा पाया गया है। मेहरा कहते हैं “ऐसा सम्भवतः भटिंडा इलाके की तोशाम पहाड़ियों से आ रही मिट्टी के कारण हो सकता है, लेकिन इस सम्बन्ध में निष्कर्ष निकालने लिये और शोध तथा अध्ययन करने पड़ेंगे…”

इस समस्या ने परमाणु ऊर्जा वैज्ञानिकों का ध्यान भी आकर्षित किया और उन्होंने इलाके के पानी और मिट्टी का परीक्षण किया तथा बच्चों के विभिन्न मेडिकल टेस्ट भी किये। गुरुनानक देव विश्वविद्यालय के वरिष्ठ जियोफ़िजिसिस्ट डॉ सुरिन्दर सिंह बताते हैं, पहले भी पंजाब के मालवा इलाके के भूजल और सतह जल दोनों में रासायनिक परीक्षण में यूरेनियम की मात्रा मानक से ज्यादा स्तर पर पाई गई थी, इसलिये बच्चों के बालों में यूरेनियम का पाया जाना खतरे की घण्टी तो है, लेकिन यह अनपेक्षित नहीं है। वे आगे कहते हैं, पूर्व में किये गये विभिन्न अध्ययनों के अनुसार भटिण्डा जिले में पीने के पानी में यूरेनियम की सान्द्रता 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तक पाई जा चुकी है, जबकि वैज्ञानिकों के अनुसार पानी में यूरेनियम का मानक स्तर 9 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होना चाहिये।

पंजाब सरकार पंजाब के विभिन्न इलाकों में 200 रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) संयंत्र लगाने की योजना बना रही थी। रिवर्स ओस्मोसिस एक प्राकृतिक लेकिन वैज्ञानिक प्रक्रिया होती है जिससे पानी में भारी धातुओं की उपस्थिति को कम किया जाता है। इस प्रक्रिया के द्वारा जल को प्रदूषण मुक्त करके उपयोग करने लायक बनाया जाता है। लेकिन अब पंजाब के मालवा इलाके, खासकर भटिंडा, फ़रीदकोट, मंसा, संगरूर, मुक्तसर और मोगा आदि यूरेनियम वाले इलाकों में यह योजना बेमानी हो गई है। अन्य हेवी मेटल्स (जैसे आर्सेनिक, क्रोमियम, लौह, आदि) की तरह यूरेनियम को आरओ से निष्क्रिय नहीं किया जा सकता। अब अन्य किसी वैकल्पिक योजना पर काम करना पड़ेगा।

अपंग होते बच्चे


फरीदकोट के छोटे से इलाके में बच्चों में शारीरिक विकृतियां देखी जा सकती हैं जैसे-बड़ा सिर, फूली हुई आंखें, मुड़े हाथ और मुड़े पैर। इन असमान्यताओं की जांच के लिए पिछले दिनों बच्चों के बालों के सैंपल साउथ अफ्रीकी टॉक्सिकॉलजिस्ट डॉ. करीन स्मिट की पहल पर जर्मन लैब में भेजे गए थे। पर हाल ही में मिली लैब रिपोर्टों से पता लगा है कि शारीरिक गड़बड़ी की वजह असल में यूरेनियम की उच्च मात्रा होना है।

फरीदकोट के बाबा फरीद सेंटर फॉर स्पेशल चिल्ड्रेन के हेड पृथपाल सिंह कहते हैं, 'टेस्ट नतीजों से हम हैरान हैं क्योंकि पंजाब में यूरेनियम का कोई ज्ञात स्त्रोत नहीं है। यूरेनियम की बात उजागर होने पर अब जर्मन और साउथ अफ्रीकी डॉक्टरों की मदद से 150 अन्य प्रभावित बच्चों पर टेस्ट किए जा रहे हैं। इस बात की पड़ताल की जा रही है कि क्या यूरेनियम कहीं से रिसाव के कारण आया है या इसका स्त्रोत प्राकृतिक है।'

टेस्ट के सिलसिले में अपनी सहयोगी डॉ. वेरिर ड्रिर के साथ यहां आए जोहानिसबर्ग से टॉक्सिकॉलजिस्ट डॉ. स्मिट के मुताबिक, 'जब मैंने पहली बार ब्रेन डैमिज के इतने बड़े पैमाने पर सबूत देखे तो मुझे लगा कि ऐसा जहर के कारण हो रहा है। यूरेनियम के बारे में तो मैंने कतई सोचा भी नहीं था। पर डॉ. स्मिट की कोशिशों से जर्मन लैब में सच सामने आ गया।

डॉ. स्मिथ ने कहा कि यूरेनियम के असर से बच्चों को मुक्त करने के लिए डीटॉक्सीफिकेशन किया जाना जरूरी है। यह तभी संभव है जब भारत और पंजाब सरकार के अलावा समाजसेवी संस्थाएं भी आगे आएं। यूरेनियम से मुक्ति दिलाने के लिए हर बच्चे पर 3 से 6 लाख रुपए खर्च आएगा।

उन्होंने कहा कि भारतीय मंदबुद्धि बच्चों के बालों में यूरेनियम के अंश मौजूद होने का तो पता चल गया है लेकिन इसका असर शरीर के दूसरे हिस्सों पर कितना है, इसका पता करना भी जरूरी है। जिसके लिए सभी बच्चों के टेस्ट एकत्र कर लिए हैं जो जर्मनी की ‘माइक्रो ट्रेस मिनरल लेबोरेट्री’ को भेजे जा रहे हैं ।
साभार - दैनिक भास्कर

तुम कौन हो, इज्जत लुट गई तो क्या हुआ?










तुम
कौन हो
तुम्हारी अहमियत क्या है
तुम्हारी खबर क्यों छापें
क्यों दिखाएं अपने चैनल पर
तुम्हारी बेटी की इज्जत
लुट गई तो क्या हुआ
गलती तुम्हारी ही है
क्यों रहते हो झुग्गी में
क्यों नहीं है उसमें मजबूत दरवाजा
दरवाजा नहीं होगा तो
कोई कोई घुस ही जाएगा
क्या तुम्हारे पास घटना की
कोई लाइव या स्टिल फोटो है
नहीं तो इसमें बिकने लायक क्या है
लोग इसे क्यों देखेंगे
उन्हें इस खबर में क्या थ्रिल मिलेगा
तुम्हारी बेटी की इज्जत तो लुट गई
पर बिना मसाले के खबर नहीं बनेगी
ही इस पर आएगा एसएमएस
जिससे होती है कमाई
बुरा मत मानना
आखिर टार्गेट रीडर या दर्शक
का भी खयाल रखना है
अगली बार जब भी कुछ
ऐसा हो तो प्लीज कैमरे की
व्यवस्था जरूर करना
नहीं तो हमें खबर कर देना
हमारे फोटोग्राफर पहुंच जाएंगे
तुम्हें भी मिलेगा इसका लाभ
पब्लिसिटी मिलेगी
हमारी खूबसूरत एंकर रिपोर्टर
पूछेगी तुम्हारी बेटी से सवाल
कैसे हुआ था बलात्कार
उस समय
तुम्हें कैसा महसूस हो रहा था?
साभार -- बेबाक में श्री मृत्युंजय कुमार जी

LinkWithin

Related Posts with Thumbnails