सीमाओं में रहे, मुंबई की ये मनसे .....

मन से यदि हम चाहते, देश रहे खुशहाल ।

मिलकर रहना सीख लें, सब भारत के लाल ।

सब भारत के लाल, बिहारी हों कि मराठी ।

लेकिन भाई पर भाई बरसाता लाठी ।

चक्र सुदर्शन टूट रहा है, इस अनबन से ।

सीमाओं में रहे, मुंबई की ये मनसे .....

अशोक चक्रधर

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