कुछ हमसे सीखो ....
121 करोड़ भारतीयों का भरोसा अब सच्चाई में बदलता नजर आ रहा है कि 21 वीं सदी भारत की होगी। दुनिया में आर्थिक महाशक्तिके रूप में उभर रहा हमारा देश ज्ञान-विज्ञान, टेक्नॉलॉजी में तो आगे है ही, अंतरराष्ट्रीय खेलों में भी शीर्ष पर चमक रहा है। यह विश्व विजय इस दिशा में सबसे प्रभावी और प्रेरक कदम है।
क्रिकेट और खेल से आगे का जहां काफी बड़ा है। टीम इंडिया ने कुछ ऐसे उदाहरण भी पेश किए, जो सिर्फ विश्व कप की कामयाबी तक सीमित नहीं हंै। इन्हें जिंदगी की सारी बाधाओं को जीतने में भी आजमाया जा सकता है, बशर्ते वैसा अनुशासन भी हो। यूं तो इस खेल के कई सबक हैं, लेकिन छह बेशकीमती बातें ये रहीं-
सर्वश्रेष्ठ पर निर्भर न रहो : डोंट डिपेंड ऑन द बेस्ट..
जो सर्वश्रेष्ठ ही हैं, सिर्फ उनके सहारे बात नहीं बनेगी। सबको अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा। शांति और धर्य के साथ। टीम में बेहतरीन कामयाबी का सीधा सूत्र है —डोंट डिपेंड ऑन द बेस्ट..जैसे : फाइनल में सचिन और सहवाग के जल्दी आउट होने के बाद गंभीर और कोहली जैसे युवा खिलाड़ियों ने टीम को संभालने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई।
बढ़ो और बदल डालो.. गो एंड टर्नअराउंड..
मकसद हासिल करने का इसके सिवाए कोई दूसरा रास्ता नहीं। अपने कदमों पर पूरा-पक्का भरोसा और कुछ बेहतर कर दिखाने की जिद। आगे बढ़ा हुआ हर कदम अगले एक और कदम की प्रेरणा बनेगा। इसलिए मत भूलिए —गो एंड टर्नअराउंड..
जैसे : पूरे टूर्नामेंट में बहुत सफल न रहने के बाद भी महेंद्र सिंह धोनी ने नाजुक मौके पर महत्वपूर्ण पारी खेलकर खुद को साबित कर दिखाया।
कभी ना न कहो..
नकारात्मक होने से बात बिल्कुल नहीं बनेगी। उसे हर हाल में नकारना ही होगा। ताकि ऊर्जा का हर हिस्सा एक ही दिशा में लग सके। सिर्फ एक ही सूत्र चित्त का चरित्र बदल देगा -
—नेवर से नो..
जैसे खराब फार्म से जूझ रहे युवराज सिंह वल्र्ड कप से पहले क्रिकेट से संन्यास लेने की सोच रहे थे पर उन्होंने नकारात्मक सोच पर विजय पाई और हीरो बनकर उभरे।
खतरे भरे कदम उठाओ
बिना खतरे के कभी बड़े मकसद मिलते भी नहीं। लंबी दूरी नापने के लिए भरी-पूरी छलांग जरूरी है। खतरे उठाने की तैयारी जितनी होगी, मंजिल से दूरी उतनी ही कम होगी। सीधी बात है
—मेक डैंजरस मूव्स..
जैसे फाइनल मैच में आर. अश्विन की जगह श्रीसंत और पठान की जगह रैना को मौका देने और खुद को युवराज से पहले बैटिंग करने के धोनी के फैसले खतरों से भरे जरूर थे, लेकिन उन्हीं से नतीजा हासिल हुआ।
हर पल रणनीति बनाओ
बिना सोचे-विचारे आगे बढ़े कदम अंधेरी दिशा में ही होंगे। मतलब रणनीति की रोशनी जरूरी है। हर कदम पर। हालात जब और जैसे भी मोड़ लें, रणनीति भी फौरन बदलें।
—स्ट्रेटजी फॉर एवरी एक्ट..
जैसे स्पिन खेलने में कमजोर वेस्ट इंडीज टीम के खिलाफ बॉलिंग की शुरुआत आर. अश्विन से कराकर धोनी ने सभी को चौंका दिया। और जब हर मैच में मध्य क्रम लड़खड़ा रहा था तो उन्होंने पठान की जगह रैना को उतारा।
अपना सौ फीसदी दो..
पूरे मन और प्राण से ही जुटना होगा। आधे-अधूरे मन से की गई कोशिशें नतीजे भी धुंधले ही लाएंगी। हरेक अपना सौ फीसदी सामने लाए। इसे सिद्ध सूत्र की तरह मन में उतारिए
—गिव योर हंड्रेड परसेंट..
जैसे फील्डिंग में कमजोर मानी जा रही हमारी टीम ने सेमी फाइनल और फाइनल में अपनी चुस्ती-फुर्ती से विरोधियों को एक-एक रन के लिए तरसा दिया। साथ ही कुछ नामुमकिन से कैच लिए और एकदम तय दिख रहे चौके बचाए। साभार - दैनिक भास्कर
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