पंजाब लश्कर और खालिस्तानी गुटों के निशाने पर


आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और खालिस्तान समर्थक गुट पंजाब में आतंकवादी हमलों की साजिश रच रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने इस संबंध में चेतावनी जारी की है।

पंजाब पुलिस के सूत्रों ने खुफिया जानकारियों के हवाले से बताया कि पाकिस्तान, कनाडा और अन्य देशों में सक्रिय खालिस्तान समर्थक गुट लश्कर के संपर्क में आ चुके हैं। खुफिया एजेंसियों के दस्तावेजों से पता चलता है कि 'खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स' (केजेडएफ) पंजाब में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए लश्कर के संपर्क में आ चुका है।

केजेडएफ के सदस्य रणजीत सिंह नीता को लश्कर सहित अन्य आतंकवादी संगठनों से समर्थन हासिल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

उल्लेखनीय है कि गुरदासपुर जिले का भामियाल सेक्टर गत 15 दिनों में आतंकवादी वारदातों का गवाह रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब पाकिस्तान और कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी गुटों ने पंजाब को निशाना बनाया है।

गुरदासपुर जिले के नोराट जयमाल सिंह इलाके में 24 अप्रैल को पंजाब पुलिस ने दो पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया था। दोनों पक्षों के बीच हुई गोलीबारी में दो पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और एक घायल हो गया था। यह इलाका जम्मू एवं कश्मीर सीमा के बेहद करीब है। भामियाल सेक्टर में 19 अप्रैल को भी पाकिस्तान की ओर से रॉकेट दागे गए थे।

पंजाब में पाकिस्तान से लगी 553 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पंजाब सीमांत के पुलिस उप महानिरीक्षक जागिर सिंह ने आईएएनएस से कहा, "प्रभावित इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। गुरदासपुर सेक्टर में आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।"

खुफिया सूचनाओं के अनुसार आतंकवादियों के निशाने पर डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के परिजन भी खालिस्तान समर्थक गुटों के निशाने पर हैं।

पंजाब में 31 अगस्त 1995 को खालिस्तान समर्थक मानव बम ने बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी। पंजाब पुलिस के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जिन लोगों को निशाना बनाए जाने की सूचना मिली है, उनकी सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी
उल्लेखनीय है कि पंजाब में अलगाववादियों का हिंसक अभियान दस वर्षों तक चला था। अलगाववादियों की हिंसक कार्रवाई में 25,000 लोग मारे गए थे। इस हिंसक अभियान को वर्ष 1993 में कुचल दिया गया था।
साभार - दैनिक भास्कर जोश १८

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परी ही रहना उड़नपरी मत बनना ...
पंख संभालना, दरिन्दे बहुत है यहाँ ....

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