मालेगांव बम धमाके में साध्वी प्रज्ञा सिंह का नाम आने से 'भगवा' में आखिर उबाल क्यों हैं ? क्या सिर्फ़ मुसलमान ही आंतकी हो सकते हैं ? "भगवाधारी" का जब नाम आया तो सारे भगवाधारी नाराज हो गए । जब मुल्ला, मौलवी और मुसलमानों पर उंगली उठाई जा सकती है, तो हिंदू संगठनों में कुछ भगवाधारियों पर उंगली क्यों नहीं उठ सकती है । चलो कुछ देर के लिए मान लेते हैं कि साध्वी प्रज्ञा का धमाके से कोई संबंध नहीं है, तो डर किस बात की है । साध्वी उमा भारती बिल्कुल ठीक कर रही हैं, लेकिन यह कोई प्रज्ञा का चरित्र प्रमाण पत्र नहीं है, जिसे ठीक समझा जाए । देश से जुड़ी हुई गंभीर बात है, जिस पर सभी दलों को एक होकर काम करना चाहिए । ऐसा नहीं कि देश में कुछ मुसिलम संगठन ही आंतकी गतिविधियों में संलिप्त हैं, हिंदू संगठनों के कुछ मठाधीश भी इस दायरे में आ रहे हैं । हालांकि कभी छात्र नेता रहीं प्रज्ञा का चंबल के आस-पास इलाके में प्रवचन करना लोगों को पच नहीं रहा है । मान लेते हैं कि प्रज्ञा निर्दोष है, तो जांच से घबराना कैसे ? बवाल पर उबाल फैलाने के लिए न्यूज चैनलों ने काम शुरू कर दिया है । कोई मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज को जोड़ रहा है तो कोई वरिष्ठ अफसर से मोहब्बत की बात कर रहा है । छात्र राजनीति के बाद साध्वी बनी प्रज्ञा में क्या बदलाव आया , जिससे उनका नाम आतंकी गतिविधियों से जुड़ गया ? इस पूरे मसले पर भगवाधारी ही नहीं तमाम हिंदू संगठनों को एक होकर गंभीरता से सोचना होगा । पूरे मामले को इमानदारी के साथ जांच होनी चाहिए ।