24 सितंबर एक टर्निग प्वॉइंट


अयोध्या विवाद पर फैसला आने से पहले फ्रांस के एक लेखक ने कहा है कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से राजीव गांधी जिम्मेदार थे। उन्होंने यह भी कहा है कि यह फैसला मुस्लिमों को मुख्यधारा में लाने का एक अच्छा मौका है। पेरिस में दक्षिण एशियाई राजनीति एवं इतिहास पढ़ाने वाले डॉ. क्रिस्टॉफ जैफ्रेलो ने अपनी पुस्तक रिलिजन, कास्ट एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया में कहा है कि अयोध्या का विवादित ढांचा गिराए जाने के पीछे राजीव गांधी की अप्रत्यक्ष भूमिका थी क्योंकि वह हिंदू और मुसलमान समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाने की कोशिश करते थे। उन्होंने कहा है, शाहबानो मामले से लेकर विश्व हिंदू परिषद के कहने पर विवादित ढांचे का ताला खुलवाने और फैजाबाद को राम की भूमि कहते हुए अपना चुनाव प्रचार शुरू करने तक वह हिंदुओं और मुसलमानों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर रहे थे। उन्होंने अपनी पुस्तक में यह भी कहा है कि यह फैसला भारतीय नेतृत्व के लिए मुसलमानों को फिर से मुख्यधारा में लाने का मौका होगा। भारत के इतिहास में 24 सितंबर एक टर्निग प्वॉइंट साबित होगा। उनका मानना है कि मेल-मिलाप के प्रयास होने चाहिए और हिंदूवादी ताकतों की ओर से यह पहल होनी चाहिए। उनके अडि़यल रवैये से मुश्किलें ही आएंगी। जैफ्रेलो ने कहा कि भगवा ब्रिगेड को मुस्लिमों की खिलाफत करने से पहले दो बार सोचना पड़ेगा क्योंकि 2009 के लोकसभा चुनाव में भारतीय मध्य वर्ग का रुख उनके खिलाफ था। मुसलमानों के बाबत उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ फैसले का आना दोधारी तलवार जैसा होगा क्योंकि वे इसे बार-बार पराजय स्वीकार करने के रूप में देख सकते हैं।

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