ओडिशा के जाजपुर जिले में एक औरत ने अपने डेढ़ साल के
बेटे को 5,000 रुपए में बेचकर उन पैसों से अपने लिए एक मोबाइल फ़ोन, दो
जींस और कुछ अन्य चीज़ें खरीदी.
यह जानकारी जाजपुर के एसपी दीपक कुमार ने बीबीसी
को दी. गौरतलब है कि इस मामले में स्थानीय अख़बारों में छपी प्राथमिक
रिपोर्टों में कहा गया था कि बच्चे की गरीब माँ राक्षी पात्र ने जेल में
बंद अपने पति को छुड़ाने के लिए अपने बच्चे को बेच दिया था.
मीडिया रिपोर्टों के आधार पर पिछले
शुक्रवार को ओडिशा हाई कोर्ट ने अपनी ओर से एक पीआईएल दर्ज करते हुए जाजपुर
पुलिस को बच्चे को ढूंढ़ कर उसके माँ के सुपुर्द करने का आदेश दिया था.
हाई कोर्ट के आदेशानुसार पुलिस ने मंगलवार की रात बच्चे को कटक जिले के नुआपटना गाँव के बाबुला बेहेरा के घर से बरामद किया.
जाजपुर एसपी दीपक कुमार ने फ़ोन पर बताया कि बच्चे
की बरामदगी के बाद जब पुलिस उसे लेकर राक्षी के पास पहुंची, तो उसने उसे
लेने से इनकार कर दिया.
इस लिए बच्चे को बाल कल्याण समिति के सुपुर्द कर दिया गया.
कमेटी ने बच्चे को उसके दादा, दादी के हवाले कर दिया है.
एसपी ने कहा कि इस घटना के बाद राक्षी के माँ,
बाप, सास और ससुर ने राक्षी को अपने पास रखने से इनकार कर दिया, जिसके कारण
उसे जाजपुर शहर के एक शोर्ट स्टे होम में भेज दिया गया है.
दीपक कुमार ने कहा "जिरह के दौरान राक्षी ने हमें
बताया की बच्चे की बिक्री से मिले 5,000 रुपए में से 1400 रुपए खर्च कर
उसने एक मोबाइल फ़ोन ख़रीदा, 1100 रुपए से दो जींस और कुछ टाप्स, 500 रुपए
वकील को दिए और बाकी के पैसे अपने पास रख लिए."
एसपी ने कहा "ज़ाहिर है कि बच्चे की बिक्री के
बारे में मीडिया में छपी पहली रिपोर्ट सत्य पर आधारित नहीं थी. कोई भी आदमी
यह विश्वास नहीं करेगा कि कोई औरत, जो अपने पति को जेल से छुड़ाने के लिए
अपने बच्चे को बेच देती है, वह उन पैसों से यह सारी चीज़ें खरीदेगी."
एसपी ने बताया के बच्चे के माँ के खिलाफ जाजपुर
पुलिस मामला दर्ज किया है, लेकिन अभी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. "हम
इस मामले को आगे बढाने से पहले हाई कोर्ट के आदेश का इंतज़ार कर रहे हैं."
पुलिस की ओर से बच्चे की बरामदगी के बारे में
मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश गोपाला गौडा और न्यायमूर्ति बीके
मिश्र की खंडपीठ को अवगत करा दिया गया.
सूत्रों के अनुसार 17 वर्षीय राक्षी ने 2010 में मुंडमाल के निवासी मनोज पात्र से प्रेम विवाह किया था.
लेकिन चूँकि मनोज छोटी-मोटी चोरियां करता था और
अधिकतर समय जेल में रहता था, इसलिए राक्षी अपना ससुराल छोड़ कर अपने मायके
वापस आ गयी थी और वहीं रह रही थी.
माँ, बाप से झगड़े के बाद वह पिछले महीने की 15
तारीख को अपने बच्चे को लेकर कटक शहर चली गई थी और एक रिक्शेवाले की मदद से
अपने बच्चे को नुआपटना के बाबुल बेहेरा को 5000 रुपए में बेच दिया था.
मामले क़ी सुनवाई के बाद हाई कोर्ट की दो-सदस्यीय
खंडपीठ ने जनहित याचिका को निरस्त करते हुए कहा कि चूँकि बच्चे की माँ ने
उसे अपने अपने पास रखने से इनकार कर दिया है और बाल कल्याण कमेटी ने उसे
उसकी दादी कनक पात्र के हवाले कर दिया है, इस लिए अब इस मामले में निर्णय
लेने के लिए कुछ बचा नहीं है.
हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार बीके मोहंती ने बीबीसी को
बताया कि खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि बच्चे के दादा, दादी या उसकी
माँ चाहें तो बच्चे के पिता मनोज पात्र की रिहाई के लिए जिला न्यायिक
सहायता प्राधिकरण से सहायता मांग सकते हैं.