कचेहरी और अदालत को ले जाएं 'थानेदार'


माइक से बार-बार आवाज गूंज रही थी कि थानेदार सिंह की अम्मा कचेहरी देवी और बप्पा अदालत सिंह गायब हो गए हैं । थानेदार जहां कहीं भी हों, आकर पूछताछ केंद्र से कचेहरी और अदालत को ले जाएं । कचेहरी बार-बार बेहोश हो रही है, अदालत का बुरा हाल है । छोटकू के अम्मा भी मेले में भटक गई हैं, छोटकू के साथ । अम्मा ना तो अपना नाम बता रही है और अपने मरद का नाम भी नहीं बता रही हैं, हां यही कह रहीं है कि छोटकू के बप्पा कह कर गोहराओ, दौड़ते चले आएंगे । मुनव्वर की मुन्नी देवी भी बड़का मंदिर के पास भटक गई हैं, रो रहीं हैं, किसी ने खोआ-पाया दफ्तर तक पहुंचा दिया है । मुन्नी देवी को मुनव्वर ले जाओ, इन्हें बेहोश होने वाला दौरा पड़ रहा है । यह सीन है एक मेले की, जहां मैं भी पहुंचा हुआ था....खोया-पाया दफ्तर के सामने अजब-गजब एनाऊंसमैंट सुन कर प्रसन्न हो रहा था । इस अजब-गजब के आगे राजू भैया श्रीवास्तव की मसखरी फेल हो रही थी । .... तभी हटो-हटो....बड़ी-बड़ी मूंछों पर हाथ फेरते हुए एक भारी-भरकम इंसान भीड़ को चीरते हुए चिल्ला रहा था... हाय कचेहरी मैया तू कहां चली गइव रहा । अदालत बप्पा भी तोहरे साथे ही हैं । बुढऊ से कहिन रहा कि टैंट में रहौ, पर मानिन नाहीं । अपनौं हेराय गे अऊर साथेम मैय्यक भी हेरवाय दिहिन ।सगरौ मजा फ्यूज कइ दिहिन । अरे थानेदार भैया का भवा । काहे परेशान हौ, मैया और बप्पा मिल गइन । अब का दिक्कत है॥चलौ मेलवम थोरय घूम आवा जाए । का खाक चले बड़कऊ तीन घंटा तो खोजइम लगाइ दीन, अब का होई, अब तौ चलेन का टाइम होइ गवा है भैया । छोटकू के अम्मा छटपटाइ रहीं हैं, अब तक छोटकू के बप्पा नाहीं आए । छोटकू पछाड़े मार कई रोवत बाटय । छोटकू के अम्मा फिर से एनाऊंसमैंट वाले से छोटकू के बप्पा को पुकारे के लिए कहती है । एनाऊसमैंट करने वाला कहता है, का माई बार-बार पुकार रहिन है, ना तौ तू आपन नमवा बतावत हिव और ना ही छोटकू के बप्पा कय । तभी मुन्नी देवी चिल्ला पड़ती है ... अरे वह जात हैं मुनव्वर, हे चिल्लम का बप्पा, हम यहां हन । मुन्नवर बोला, हाथ पकर कइ चलइ कहा रहा, हाथ काहै छोडि दिहिस रहा । हम तो हाथय पकड़ कर रखेन रहा ... लेकिन तुमही गायब होइ गइव तो हम का करी । हाथ देखन तो कोही अऊर कैय रहा ? मेरी ट्रेन छूटने में अभी एक घंटे का समय था, स्टेशन जाते-जाते आधे घंटे लग जाते । मैंने आधा घंटा रह कर छोटकऊ के बप्पा की एंट्री का इंतजार करना चाह रहा था । हालांकि इस बीच कई और अजब-गजब नामों का उच्चारण हो रहा था । गायब होने की सूची में कई नाम शामिल हो चुके थे । लेकिन मुझे कचेहरी, अदालत, छोटकऊ के अम्मा (मम्मी)और मुन्नवर की मुन्नी में था । हालांकि कचेहरी और अदालत को थानेदार ले जा चुका था, मुन्नी भी अपने मरद मुनव्वर के साथ जा चुकी थी । लेकिन छोटकऊ और उसकी अम्मा में मेरी दिलचस्पी बनी हुई थी...लेकिन छोटकऊ के बप्पा (डैड) अभी तक खोया-पाया सैंटर नहीं आए थे, इस बीच मेरे दोस्त ने कहा,चलो टऒेन छूट जाएगी ।

1 comment:

Neeraj Mishra said...

ek din thanhedar Jaroo aayenge

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